सच्चा प्यार एक अनकहा अहसास होता है।सच्चे प्यार का मतलब एक दूसरे से इस हद तक जुड़ जाना है कि कोई अलग न कर पाये।अपने साथी की ख़ूबियों व कमियों को पूर्ण रूप से स्वीकारना ही सच्चे प्यार की निशानी है।जहाँ स्वार्थ व शारीरिक आकर्षण के दम पर टिके रिश्ते बहुत जल्द दम तोड़ देते हैं वहीं सच्चा प्यार महज़ एक आकर्षण नहीं अपितु दिल की गहराई तक उतर तक रोमांचित करने वाला अनुभव है।सच्चा प्यार कभी भी व किसी से भी हो सकता है।सच्चा प्यार वक़्त के साथ साथ गहरा होता चला जाता है और ज़िन्दगी जीने के नज़रिये को बदल कर उसमें असीमित आनन्द व आत्मिक शान्ति का अनुभव महसूस करवाता है।सच्चे प्यार में ही इन्सान भौतिक सुखों से दूर जीवन के हर दौर में एक दूसरे के साथ मज़बूती से खड़े रहने का अनुभव महसूस करता है।सच्चा प्यार किसी भी इन्सान के जीवन को अगाध स्नेह से भरकर महका सकता है।

सच्चे प्यार की अबूझ परिभाषा —
सच्चा प्यार आत्मीयता का परिचायक है लेकिन सच्चे प्यार की परिभाषा को बहुत ही संकीर्ण व संकुचित विचारधारा में समेत दिया गया है।सच्चे प्यार को किसी एक रिश्ते में बाँधना न्यायोचित नहीं है।सच्चा प्यार माँ-बाप, भाई-बहिन, मित्र, या अन्य किसी से भी हो सकता है।जहाँ रिश्तों में त्याग,बलिदान,व कुछ पाने की अपेक्षा देने की प्रबल भावना होती है, वहीं सच्चा प्यार फलिभूत हो सकता है।जिस प्यार में स्वार्थ, दिखावा, छल कपट व ज़बरदस्ती विधमान होते हैं वह प्यार न रहकर एक समझौता बन जाता है।सच्चे प्यार में अधिकार, उम्मीद, इच्छा व चाहत का कोई स्थान नहीं है।सच्चा प्यार तो भरोसे व सम्मान का दूसरा नाम है।जिस दिन जीवन में एक दूसरे का भरोसा व सम्मान ख़त्म हो जाता है उसी दिन से प्यार बिखरना शुरू हो जाता है।

सच्चे प्यार में अड़चनें हज़ार —
प्यार एक अत्यन्त ख़ूबसूरत अहसास है जो लोगों को दिल की गहराई से जोड़ता है लेकिन जहाँ प्यार में एक दूसरे के प्रति समर्पण की भावना ख़त्म हो जाती है और रिश्तों में स्वार्थ हावी होने लगता है वहीं यह ख़ूबसूरत रिश्ता एक बोझ बनकर रह जाता है।रिश्तों की आपसी कड़वाहट धीरे धीरे इतनी नकारात्मकता पैदा करती है कि इन्सान स्वार्थ में अन्धा होकर दूसरे पर अधिकार ज़माने लगता है।वह अपनी ग़लतियों को छुपाने की हर सम्भव कोशिश करता है और इसका दोष भी दूसरों के सिर मढ़ना शुरू कर देता है।धीरे धीरे जीवन में शक अपनी जगह बना लेता है और बचे खुचे रिश्ते को भी ख़त्म कर देता है।इस तरह एक ख़ूबसूरत रिश्ता बुरे अंजाम तक पहुँच जाता है।सिर्फ़ विश्वास व समर्पण ही किसी रिश्ते को टूटने से बचा सकते हैं।सच्चा प्यार इन्ही का मोहताज है।

प्यार है जन्मों जन्मों का बन्धन —
भारतीय समाज में प्यार को सदा से ही सबसे पवित्र रिश्ते के रूप में स्वीकार किया जाता है।सच्चा प्यार विश्वास व भरोसे की नींव पर टिका वो अमर रिश्ता है जो निस्वार्थ रूप से अपने साथी के लिये सम्पूर्ण त्याग की भावना रखता है और जीवन के हर क्षण में बलिदान करने के लिये तत्पर रहता है।फिर यह बलिदान शारीरिक, मानसिक या आत्मिक ही क्यूँ न हो।युगों युगों से भारतीय समाज में सच्चे प्यार में निस्वार्थ प्रेम व त्याग की कहानियाँ हमें सकारात्मक रूप से प्रेरित व रोमांचित करती रही हैं।सच्चा प्यार एक ऐसी अवस्था है जिसे कोई विरला ही पा सकता है।अतः आपसे कोई सच्चा प्यार करे तो उसे आप ईश्वर का उपहार समझें व अपने आप को दुनिया का सबसे सौभाग्यशाली इन्सान मानकर उसे भी उतना ही लौटने का प्रत्यन करें, यही सच्चे प्यार को आपकी ओर से अनुपम भेंट होगी। धन्यवाद व जय हिन्द
प्यार है ईश्वर का अलौकिक वरदान, नहीं केवल यह हीर-राँझे की दास्तान। नहीं बंधा है यह दो शरीरों के मिलन से, नहीं मांगता कभी कुछ किसी से। खिलता है यह जीवन में, अलग रंगों में, अलग-अलग रूपों में। मिल जाए जिसको वह है बहुत भाग्यवान। आपने सच्चे प्यार की परिभाषा बहुत सुंदर शब्दों में व्यक्त की है। जीवन के प्रति आपका दृष्टिकोण मेरे विचार से सराहनीय है। हार्दिक शुभकामनाएँ।
आपकी सराहना के दो शब्द ही मुझे अच्छा लिखने के लिये प्रेरित करते हैं, अपने विचार साँझा करने के लिये बहुत धन्यवाद