गुड फ़्राइडे का दिन ईसाई धर्म के लोगों द्वारा कैलवरी में ईसा मसीह को सूली पर लटकाने के शोक स्वरूप मनाया जाता है।इस दिन को दुःख,तपस्या व उपवास के दिन के रूप में मनाया जाता है।लगभग दुनिया के सभी देशों में ईस्टर रविवार के पहले शुक्रवार को,ईसा मसीह के सूली पर चढ़ने के शोक स्वरूप मृत्यु की सालगिरह मनायी जाती है।इस दिन लोग उपवास करते हैं।और दिन भर धार्मिक शिक्षा व विशेष सामूहिक गान द्वारा प्रभु को याद किया जाता है।यीशु द्वारा किए गए बलिदान को एक स्तुति गान के द्वारा लोगों को सुनाया जाता है।भक्तजन यीशु की मृत्यु और पुनःजीवन की प्रार्थना में भाग लेते हैं। इस दिन कई देशों में जुलूस आयोजित किये जाते हैं।सड़कों पर भक्तजन लम्बा लबादा ओढकर व लकड़ी का क्रास लेकर लेकर चलते हैं और प्रभु के प्रति सच्ची श्रद्धा अर्पित करते हैं।

प्रभु मसीह ने एक ऐसे धर्म व समाज की स्थापना के लिए अपने प्राणों का त्याग किया जिसमें लोग एक दूसरे से प्यार करें,लोगों में अपने शत्रुओं को माफ़ करने की हिम्मत हो व सभी मनुष्यों में,दूसरे मनुष्य को साथ लेकर चलने की इच्छाशक्ति हो। ऐसे धर्म व न्याय की स्थापना करने व मनुष्य को पाप की दलदल से निकालने के लिये प्रभु ने अपने प्राण न्योछावर कर दिये।लोगों के लिये अपना सबकुछ समर्पित करने वाले प्रभु ईसा मसीह को बहुत दर्दनाक मौत झेलनी पड़ी।उन्हें लगातार यातनाएँ दी गयी।उन्हें सूली पर चढ़ाने से पहले 39 कोड़े मारे गये।सिर पर काँटो से भरा ताज पहनाया गया। एक क्रासनुमा लकड़ी के ढाँचे पर बाँधकर हाँथों व पैरों में कील ठोके गये।और पसलियों पर लोहे के औज़ार से मारा गया।उन्हें पूरे 6 घंटे तक इस हालत में सूली पर लटकाए रखा गया। ऐसी दर्दनाक सज़ा के बाद भी प्रभु के मुख से सूली चढ़ाने वाले लोगों के लिये दया भाव निकल रहा था।प्रभु ईश्वर से उन्हें माफ़ करने व उनका कल्याण करने की प्रार्थना कर रहे थे।

प्रभु ईसा मसीह के जन्म से लेकर उनकी सूली पर मौत और उनके तीसरे दिन जीवित हो जाने के बारे में हज़ारों वर्ष पूर्व नबियों ने भविष्यवाणी कर दी थी।यहाँ तक कि प्रभु को भी अपने साथ होने वाली घटनाओं के बारे में पूरी जानकारी थी।पिता परमेश्वर ने पुत्र ईसा मसीह को जिस कार्य को करने पृथ्वी पर भेजा था उसे उन्होंने बख़ूबी पूरा किया।मरने से पूर्व परमपिता के संदेश को जन-जन तक पहुँचाना और धर्म व न्याय के लिये अपनी जान देकर एक मनुष्य को दूसरे मनुष्य से जोड़कर धरती पर स्वर्ग स्थापित करना उनकी प्राथमिकता थी,जिसे उन्होंने बख़ूबी अंजाम दिया।आज पूरा विश्व उनके बलिदान व उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिये ऋणी है।उनके दिखाये हुए रास्तों पर चलकर अपना जीवन सुखी व मंगलमय बना सकते हैं। धन्यवाद व जय हिन्द